मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

जीत, ज़ज्बा और जुनून..

१५ दिसम्बर २००८ का दिन मेरे लिए कुछ खास रहा, क्योकि इंडिया ने इंग्लैंड को २ टेस्ट मैचों की श्रृंखला में चेन्नई में खेले गए पहले मैच में ६ विकेटों से हरा दिया। धोनी की कप्तानी में जैसे पूरी टीम को जीतने के "पर" निकल आए हैं। इंग्लैण्ड ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा की जिन्होने इंडिया को क्रिकेट खेलना सिखाया और जिस देश पर लगभग २०० वर्षों तक शाशन किया, उस देश में क्रिकेट के मामले में उनकी ऐसी दुर्गति हो जायेगी। अभी पिछले महीने ही हमने उन्हें ७ मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला में ५-० से हराया था। बदकिस्मती से २६/२७ नवम्बर को मुंबई में हुए अब तक के देश के सबसे बड़े आतंकी हमले के बाद अपने को सुरक्षित न महसूस करते हुए इंग्लैंड की टीम दौरे को बीच में रद्द करके अपने देश वापस चली गई। अगर वो बाकी के दोनों मैच भी खेलते तो निशित ही हम उन दोनों मैचों में भी उन्हें करारी शिकस्त देते।
कई लोग ये सोचेंगे की यदि भारत ने पहला टेस्ट मैच जीता तो इसे ब्लॉग पे लिखने की क्या जरुरत थी। लेकिन इसे लिखने के मेरे कुछ अपने खास कारन हैं। ये टेस्ट मैच रेकार्डों के मामले में शानदार रहा। पहला रिकॉर्ड तो ये की भारतीय उपमहाद्वीप में रनों का पीछा करते हुए यह सबसे बड़ी जीत है, दूसरा भारत द्वारा रनों का पीछा करते हुए यह दूसरी सबसे बड़ी जीत है, (१९६९ में टीम ने वेस्टइंडीज द्वारा दिए गए ४०८ रनों के लक्ष्य के जवाब में ४०९ रन बनाकर रनों का पीछा करते हुए अपनी सबसे बड़ी जीत हासिल की थी।), तीसरा सचिन के १५५ टेस्ट मैचों के लंबे कैरियर में भारत की यह ५० वीं जीत थी, चोथी धोनी द्वारा किए गए चार टेस्ट मैचों की कप्तानी में भारत ने चारों में ही शानदार जीत दर्ज की है।
सचिन के लिए यह मैच कुछ ज़्यादा ही अहम् रहा। सचिन के बारे में कहा जाता है की वो दबाव में और टीम के लिए जीताऊ पारी नहीं खलते हैं। लेकिन चेन्नई की भयंकर गर्मी में जिस धैर्य के साथ उन्होंने खेला और विजयी चौका मरते हुए अपना शतक पूराकर भारत को जीताया, वह उनके कैरियर में एक और उपलब्धि जोड़ने के लिया काफी है। सचिन ने अपने टेस्ट कैरियर का ४१ वां शतक ठोका और साथ ही ५ वीं बार एक कैलेंडर वर्ष में १००० रन पूरे किए। सचिन ने अपना ४१ वां शतक मुंबई हमले में शहीद हुए जवानों को श्रधान्जली के रूप में समर्पित किया। उन्होंने कहा की मुंबई में जो कुछ हुआ वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। सचिन मुंबई के रहने वाले हैं और उनसे बेहतर मुंबई का दर्द कौन समझ सकता है। १९९३ से लेकर २००८ तक इन १५ वर्षों में आतंकियों ने सबसे अधिक बार देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के ही ऊपर कहर वरपाया है।अन्तिम दिन की बैटिंग में युवराज सिंह (रनों का भूखा चीता) की पारी से एक बार तो ऐसा लग रहा था की वही अपना शतक पूरा कर लेंगे और सचिन (क्रिकेट का भगवान्) अपना शतक बनने से चूक जायंगे। लेकिन इस रनों के खबू बल्लेबाज ने अंत समय में अपनी भूख पे काबू कर इस महान बल्लेबाज को अपना शतक पूरा करने का मौका दिया जो वाकई काबिले तारीफ है।
सचिन के साथ १६ दिसम्बर को एक और उपलब्धि जुड़ गई जब "कम्पलीट वेल बीइंग" मैगजीन ने दिसम्बर अंक में उन्हें "बेस्ट हैल्थ एंड हैपीनेस" के मामले में भारत का टॉप मॉडल चुना है। टॉप मॉडल की इस दौड़ में उनके साथ सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और महान वैज्ञानिक तथा पूर्व राष्ट्रपती डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम शामिल थे।
अब अगर बात की जाए मैच की तो इस पाँच दिन के मैच में ३.५ दिन तक इंग्लैंड का मैच पर कब्जा था, लेकिन जब चौथे दिन भारत बल्लेबाजी के लिया उतरा तो वीरेंदर सहवाग (६८ गेंद में ८३ रन ) ने ताबड़तोड़ गेंदबाजों की निर्मम धुनाई कर मैच का रुख भारत के पक्ष में मोड़ दिया। इसी वजह से उन्हें मैच का सर्वश्रेस्ट खिलाडी चुना गया। दोनों पारियों में शतक लगाने वाले एन्द्रेऊ स्ट्रॉस ने सोचा भी नहीं होगा की उन्हें यह पुरस्कार नही मिलेगा। अगर सहवाग ने वो ८३ रन की पारी न खेली होती तो भारत ये मैच जीतने की वजाए बचाने की कोशिश करता। भारत के द्वारा उस १.५ दिन में किया गया प्रदर्शन इंग्लैंड के ३.५ दिन के प्रदर्शन पर भरी पड़ा।
मैच की समाप्ति के बाद हुए पुरस्कार वितरण समारोह ने मुझे ये लिखने की प्रेरणा दी। मुझे क्रिकेट बोर्ड की दो बातें बहुत अच्छी लगीं। पहली ये की तमिलनाडु क्रिकेट बोर्ड ने चेन्नई के पुलिस अधिकारी को दोनों टीमों की सुरक्षा व्यवस्था और स्टेडियम में जबरदस्त सुरक्षा चौकसी के बीच मैच सम्पन्न कराने की व्यवस्था करने के लिए ट्राफी देकर प्रोतसाहित किया। दूसरा ये की भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने मुंबई में मारे गए लोगों को २ करोड़ रुपये और घायलों के लिए १ करोड़ रुपये देने की घोश्डा की जो की एक प्रसंसनीय कदम है। इससे ये लगता है की दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड सिर्फ़ अपने खिलाड़ियों और अपने फायदे के बारे में नहीं सोचती, बल्कि उसे देश की आम जनता का भी ख्याल है।
लगे रहो टीम इंडिया... पूरी दुनिया को अपने जीत के ज़ज्बे और जूनून से वाकिफ कराकर भारत को एक नई ऊँचाई पर पंहुचा दो!

गुरुवार, 11 दिसंबर 2008

नेताजी कहिन..

छः राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म हो गए,
नेताओं ने कहा हम तो अब काम से मुक्त हो गए।
उन्होंने सोचा, अब तो पाँच साल अपने क्षेत्र में ऐश करेंगे,
खूब बढ़-चढ़कर मासूम और दुर्बल जनता के विकास का पैसा कैश करेंगे॥
लोग कहेंगे, विधायक जी हमारे और क्षेत्र के लिए ज़रा काम-वाम तो कीजिये,
वो कहेंगे, अरे भाई ज़रा आराम तो करने दीजिये।
लोग कहेंगे, आप फिर पुराने ढर्रे पर आ गए,
वो कहेंगे, हम नए पे गए ही कहाँ थे॥
लोग कहेंगे, आपने तो क्षेत्र के विकास का वादा किया था,
नेताजी कहेंगे, वो तो हमने पिछले चुनाव में भी किया था।
लोग कहेंगे, हम आपको अगले चुनाव में आपकी औकात दिखा देंगे,
नेताजी बेशर्मी से कहेंगे, उससे पहले हम अगले पाँच साल में आपका खून चूसकर पानी में बहा देंगे॥
नेताजी की अब आम जनता देखेगी चतुराई,
वो सभी मिलकर एक साथ कहेंगे, हम तो अब करेंगे आप सबकी भलाई।
आश्वासन देने में ये अब पीछे न रहेंगे,
लेकिन ये लोग जनता और क्षेत्र के लिए काम कोई गलती से भी न करेंगे॥
हमने अब देखी इन नेताओं की अपने काम के प्रति वफादारी,
ये सब वरत रहे हैं अपने राजनीति के पेशे के साथ पूरी ईमानदारी।
वाह रे हमारे देश के नेता,
फिर अगले पाँच साल के लिए मारी जायेगी भोली-भली जनता बेचारी॥

बुधवार, 10 दिसंबर 2008

अब तो मज़हब

अब तो मज़हब भी कोई ऐसा ही बनाया जाये
जिसमें हर इंसान को इंसा बनाया जाये...
आग बहती है यहां गंगा में भी, झेलम में भी
कोई बतलाए कहां जाकर नहाया जाये...
जिसकी खुशबू से महक उठे पड़ोसी का भी घर
फूल ऐसा अपनी बगिया में खिलाया जाये.......
तेरे dukh dard ka mujh par bhi ho aisa asar
तू भूखी तो मुझसे भी न खाया जाये...
जिस्म चाहे दो हों लेकिन दिल तो अपने एक हों
तेरा आंसू मेरी पलकों से उठाया जाये.........
- "नीरज"